Old Pension Scheme 2025: क्या आप सरकारी कर्मचारी हैं और रिटायरमेंट के बाद पक्की पेंशन का सपना देख रहे हैं? तो उत्तर प्रदेश सरकार का ताजा आदेश आपके लिए चौंकाने वाला हो सकता है। पुरानी पेंशन योजना (OPS) को लेकर लंबे समय से चली आ रही मांग पर पानी फिर गया है। 11 सितंबर 2025 को जारी नए नियम के मुताबिक, अब केवल नियमित नौकरी की अवधि ही पेंशन के लिए गिनी जाएगी। संविदा, दैनिक वेतन या अस्थायी सेवा का समय पेंशन में शामिल नहीं होगा। ये फैसला लाखों कर्मचारियों के लिए बड़ा झटका है। आइए, इस आर्टिकल में इस आदेश की पूरी डिटेल, कर्मचारियों की मांग और भविष्य की संभावनाओं को आसान भाषा में समझते हैं।
पुरानी पेंशन योजना: क्या है माजरा?
पुरानी पेंशन योजना (OPS) वह स्कीम है, जिसमें रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को उनकी आखिरी सैलरी का 50% पेंशन मिलती थी। 2005 में नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) लागू होने के बाद OPS बंद हो गई थी। यूपी में कर्मचारी लंबे समय से OPS की बहाली की मांग कर रहे थे, खासकर वो जो संविदा से नियमित बने। लेकिन सरकार ने साफ कर दिया कि अब सिर्फ नियमित सेवा ही पेंशन के लिए मान्य होगी।
नए नियम की मुख्य बातें
- अस्थायी सेवा बाहर: संविदा, वर्क चार्ज या दैनिक वेतन की अवधि पेंशन में नहीं जुड़ेगी।
- केवल नियमित सेवा: स्थायी नियुक्ति के बाद का समय ही गिना जाएगा।
- आदेश का आधार: अपर मुख्य सचिव वित्त दीपक कुमार का 11 सितंबर 2025 का आदेश।
कर्मचारियों की मांग क्यों?
यूपी में हजारों कर्मचारियों ने अपने करियर की शुरुआत संविदा या दैनिक वेतन पर की थी। बाद में नियमित होने पर उनकी उम्मीद थी कि पूरी सेवा को जोड़कर OPS का लाभ मिलेगा। उनका तर्क था, “हमने सालों तक सरकार की सेवा की, चाहे अस्थायी हो, तो इसे क्यों नजरअंदाज किया जाए?” लेकिन सरकार ने इस मांग को ठुकरा दिया।
सरकार का जवाब
सरकार का कहना है कि अगर अस्थायी सेवा को पेंशन में शामिल किया गया, तो लाखों कर्मचारी OPS के दायरे में आ जाएंगे। इससे राज्य का खजाना खाली हो सकता है। 2025-26 के बजट में पेंशन खर्च पहले ही 20% बढ़ चुका है। सरकार का फोकस यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) पर है, जो OPS और NPS का मिश्रण है, जिसमें न्यूनतम 10,000 रुपये मासिक पेंशन की गारंटी है।
कोर्ट में चल रही जंग
कई कर्मचारी इस मुद्दे पर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ रहे हैं। कुछ मामलों में कोर्ट ने अस्थायी सेवा को पेंशन में जोड़ने के पक्ष में फैसले दिए हैं। लेकिन यूपी सरकार ने अब सख्त रुख अपनाया है और इन फैसलों को चुनौती दे रही है। कर्मचारी संगठन कहते हैं, “अंतिम फैसला कोर्ट से ही आएगा।”
कर्मचारी संगठनों का गुस्सा
नए आदेश से कर्मचारी यूनियनों में भारी नाराजगी है। उनका कहना है, “ये कर्मचारियों के साथ धोखा है।” संगठन विरोध प्रदर्शन, धरना और हड़ताल की तैयारी में हैं। कुछ यूनियन्स UPS को वैकल्पिक ऑप्शन मान रही हैं, लेकिन OPS की पूरी बहाली उनकी प्राथमिकता है।
कर्मचारियों पर क्या असर?
- सबसे ज्यादा नुकसान: जिन कर्मचारियों ने 5-15 साल संविदा पर काम किया, उनकी पेंशन कम होगी।
- NPS बनाम OPS: OPS में निश्चित पेंशन थी, NPS में रिटर्न मार्केट पर निर्भर।
- UPS का विकल्प: 10 साल की सेवा पर 10,000 रुपये न्यूनतम पेंशन, लेकिन OPS जैसी गारंटी नहीं।
कर्मचारियों के लिए सुझाव
- अपने सेवा रिकॉर्ड को अपडेट रखें।
- NPS/UPS स्टेटस चेक करें (uppension.up.nic.in)।
- कोर्ट केस और यूनियन अपडेट्स फॉलो करें।
FAQ: पुरानी पेंशन योजना से जुड़े सवाल
Q1: क्या OPS यूपी में पूरी तरह खत्म हो गई?
A: नहीं, पुराने कर्मचारियों को एक बार OPS चुनने का मौका था। नए कर्मचारी NPS/UPS में हैं।
Q2: अस्थायी सेवा को शामिल करने का कोई रास्ता है?
A: फिलहाल नहीं, लेकिन कोर्ट केस इसका रास्ता खोल सकते हैं।
Q3: UPS और OPS में क्या अंतर है?
A: UPS में OPS जैसे फायदे + NPS का मार्केट लिंक। 30 सितंबर 2025 तक चुन सकते हैं।
Q4: कोर्ट का फैसला कब तक संभव है?
A: 2025-26 में सुप्रीम कोर्ट से फैसला संभव।
निष्कर्ष:
यूपी सरकार का नया आदेश पुरानी पेंशन योजना की राह में बड़ा झटका है। अस्थायी सेवा को बाहर रखने से कर्मचारियों की उम्मीदें टूटी हैं, लेकिन कोर्ट और यूनियनों की लड़ाई बाकी है। अगर आप कर्मचारी हैं, तो अपने हक की जानकारी रखें। uppension.up.nic.in पर अपडेट्स चेक करें और यूनियन से जुड़ें। क्या ये आदेश आप पर असर डाल रहा है? कमेंट में अपनी कहानी शेयर करें और दोस्तों को टैग करें। सरकारी योजनाओं और जॉब अपडेट्स के लिए हमारी साइट को बुकमार्क करें। अपने हक के लिए आवाज उठाएं! 💪📢